सामाजिक सुधार आंदोलन भारतीय समाज में सामाजिक बदलाव को प्रोत्साहित करने और समाज में सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में कई आंदोलनों का नाम है। ये आंदोलन विभिन्न समयों पर और विभिन्न क्षेत्रों में हुए थे। निम्नलिखित हैं कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार आंदोलन और उनके संबंधित वर्ष:
- सती प्रथा पर निषेध (आरंभ – 1829): राजा राममोहन राय और इसके बाद के सामाजिक सुधारकों ने सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन किया, जिसमें पतिव्रता स्त्रियों को पतियों की मौत के बाद उनके साथ जलने का प्रयास किया जाता था।
- विधवा पुनर्विवाह पर समाज में सुधार (1856): ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने विधवाओं के पुनर्विवाह के अधिकार के लिए आंदोलन किया और समाज में सुधार किया।
- कासीराम की बालक विधवा विवाह (1857): कासीराम ने बालक विधवाओं के पुनर्विवाह के खिलाफ आंदोलन किया और समाज में सुधार किया।
- आर्य समाज की स्थापना (1875): स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की, जिसका उद्देश्य समाज में सामाजिक और धार्मिक सुधार करना था।
- दलित समुदाय के हकों की मांग (बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, 1930): बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने दलित समुदाय के लिए समाज में समानता के लिए आंदोलन चलाया और उन्होंने पूना पैक्ट की बातचीत में भाग लिया।
- खिलजी वायलेट प्रथा के खिलाफ (1972): राजस्थान के खिलजी समुदाय के महिलाएं ने वायलेट प्रथा के खिलाफ आंदोलन किया, जिसमें वे वेली या घुंघट उठाने के खिलाफ थीं।
- आदिवासी अधिकार आंदोलन (Various, समयानुसार): भारत के विभिन्न भू-जनजातियों ने अपने भूमि-हक और आदिवासी अधिकारों के लिए आंदोलन किए हैं।
- लड़कियों के शिक्षा हक के लिए (Various, समयानुसार): भारत में लड़कियों के शिक्षा हक के लिए भी कई आंदोलन हुए हैं, जिनमें बेती बचाओ, बेती पढ़ाओ आदि शामिल हैं।
- समाज में अंतर-जाति विवाह के खिलाफ (Various, समयानुसार): विभिन्न समाज में अंतर-जाति विवाह के खिलाफ आंदोलन भी हुए हैं, जिसमें ब्राह्मण और अनुसूचित जातियों के बीच के विवाह के खिलाफ हुए।
- हरिजनों के समाज में प्रवेश के खिलाफ (Various, समयानुसार): हरिजनों के समाज में प्रवेश के खिलाफ आंदोलन भी हुए हैं, जिनमें वे अपने समाज में समाजिक बदलाव के लिए लड़े।
ये केवल कुछ सामाजिक सुधार आंदोलन हैं, और इसके अलावा भी भारत में कई अन्य सामाजिक सुधारक कई विधाओं में योगदान किए हैं।
The “Social Reform Movements” in India were aimed at encouraging social change and promoting social justice and equality in Indian society. These movements occurred at different times and in various regions of India. Here are some important social reform movements and their respective years:
- Abolition of Sati (Early 19th Century): Raja Ram Mohan Roy and other social reformers campaigned against the practice of sati, where widows were expected to self-immolate on their husband’s funeral pyre.
- Widow Remarriage (1856): Ishwar Chandra Vidyasagar advocated for the remarriage of widows and worked to bring about social change.
- Child Marriage (19th-20th Century): Various reformers, including Raja Ram Mohan Roy and Dr. B. R. Ambedkar, worked to raise awareness about the ill effects of child marriage and advocated for its abolition.
- Founding of the Arya Samaj (1875): Swami Dayananda Saraswati founded the Arya Samaj with the goal of reforming society and promoting religious and social equality.
- Dalit Rights Movement (Various, Ongoing): Dr. B. R. Ambedkar and other leaders have led movements to secure the rights and dignity of Dalits (formerly known as “Untouchables”).
- Anti-Untouchability Movements (Various, Ongoing): Several social reformers and leaders have worked to eradicate the practice of untouchability and promote social equality.
- Women’s Education (Various, Ongoing): Multiple movements and individuals have advocated for girls’ and women’s education in India, including the “Save the Girl Child” and “Educate the Girl Child” campaigns.
- Anti-Dowry Campaigns (Various, Ongoing): Efforts to combat the dowry system and its negative impact on women have been ongoing in India.
- Anti-Female Infanticide and Foeticide (Various, Ongoing): Various campaigns and organizations work to prevent female infanticide and foeticide and promote the value of the girl child.
- Inter-Caste Marriage (Various, Ongoing): Movements promoting inter-caste marriages aim to break down caste-based divisions in society.
These are just a few examples of social reform movements in India, and there have been many more aimed at addressing various social issues and promoting equality and justice.