यहां एक संक्षिप्त अवलोकन दिया गया है जो भारतीय संविधान में भारत के राष्ट्रपति से संबंधित अनुच्छेद 52 से 143 तक को छूने वाला है:
अनुच्छेद 52: इसमें राष्ट्रपति की योग्यता और चुनाव प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है।
अनुच्छेद 53: यह राष्ट्रपति के कार्यक्षेत्र को स्थापित करता है और स्पष्ट करता है कि कार्यक्षेत्रिय शक्ति राष्ट्रपति के पास होगी और वे इसे सीधे या उनके अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से प्रयुक्त करेंगे।
अनुच्छेद 54: इसमें राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका, शामिल होने वाले वोट का तरीका आदि को आलेखित किया गया है।
अनुच्छेद 55: यह स्पष्ट करता है कि जब केवल एक उम्मीदवार होता है, तो राष्ट्रपति का चुनाव का तरीका कैसे होगा।
अनुच्छेद 56: इसमें राष्ट्रपति की क़दमदबी की अवधि और पुनर्चयन की योग्यता को बताया गया है।
अनुच्छेद 57: इसमें पाँच वर्ष की अवधि के बाद राष्ट्रपति के पुनर्चयन की योग्यता को विवरणित किया गया है।
अनुच्छेद 58: इसमें राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में चयन होने और पुनर्चयन की योग्यता को बताया गया है।
अनुच्छेद 59: इसमें राष्ट्रपति के लिए शपथ या प्रतिज्ञान का विधान दिया गया है।
अनुच्छेद 60: इसमें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए प्रक्रिया को बताया गया है।
अनुच्छेद 61: इसमें राष्ट्रपति की निष्कासन की प्रक्रिया को बताया गया है।
अनुच्छेद 62: इसमें राष्ट्रपति के दफ्तरात दिन की प्राथमिकता को बताया गया है।
अनुच्छेद 63: इसमें उपराष्ट्रपति को निश्चित परिस्थितियों में राष्ट्रपति के रूप में कार्रवाई करने की योग्यता को विवरणित किया गया है।
अनुच्छेद 64: इसमें राष्ट्रपति के दफ्तर से हटाने की प्रक्रिया को बताया गया है।
अनुच्छेद 65: इसमें उपराष्ट्रपति को उपराष्ट्रपति के दफ्तर के पद का कार्यभार संभालने की प्रक्रिया के दौरान कार्रवाई करने की योग्यता को बताया गया है।
अनुच्छेद 66: इसमें उपराष्ट्रपति के चुनाव को बताया गया है।
अनुच्छेद 67: इसमें उपराष्ट्रपति की अवधि और पुनर्चयन की योग्यता को बताया गया है।
अनुच्छेद 68: इसमें उपराष्ट्रपति के चुनाव के तरीके और वोट के तरीके को बताया गया है।
अनुच्छेद 69: इसमें उपराष्ट्रपति को दिन-प्रतिदिन कार्यों में कोई सक्रिय भूमिका नहीं होती, लेकिन वे अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर प्रधानमंत्री और मंत्रीमंडल को सलाह और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
अनुच्छेद 70: इसमें उपराष्ट्रपति विभिन्न समारोहिक कर्तव्यों का भी चयन करते हैं, जैसे कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्र के नाम भाषण, पुरस्कार और सम्मान प्रदान करना, और विदेशी महान व्यक्तियों का स्वागत करना।
अनुच्छेद 71: इसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चयन के संबंध में और इन पदों के उम्मीदवार बनने के योग्यता से संबंधित मामले पर बात की गई है।
अनुच्छेद 72: इसमें राष्ट्रपति को सजा, क्षमा, आलंब, या सजा की क्षमता प्रदान करने की शक्ति दी गई है।
अनुच्छेद 73: इसमें संघ की कार्यक्षेत्रिय शक्ति की व्याप्ति और राज्यों की कार्यक्षेत्रिय शक्ति की व्याप्ति को विशिष्ट किया गया है।
अनुच्छेद 74: इसमें राष्ट्रपति को उनके कार्यों को प्रायोगिकता से आयोजित करने के लिए सलाह और मार्गदर्शन प्रदान करने वाले मंत्रिपरिषद को बताया गया है।
अनुच्छेद 75: इसमें प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों के नियुक्ति और उनके संघ के लोकसभा के पास कार्रवाई करने की जिम्मेदारी के संबंध में चर्चा की गई है, और उनकी संघ के पास संघ के प्रधानमंत्री के रूप में संघ के सदस्यों के साथ संघ की जिम्मेदारी के लिए साझेदारी की जिम्मेदारी है।
अनुच्छेद 76: इसमें भारत के अटॉर्नी जनरल की नियुक्ति के संबंध में चर्चा की गई है।
अनुच्छेद 77: इसमें भारत सरकार के काम करने का विधान किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति को काम करने की सुविधा के लिए नियम बनाने की आवश्यकता है।
अनुच्छेद 78: इसमें प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी को विस्तार से बताया गया है, जो राष्ट्रपति को सूचना प्रदान करने के संदर्भ में है, इत्यादि।
अनुच्छेद 79: इसमें भारत की संसद को स्थापित किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन – राज्य सभा और लोक सभा शामिल हैं।
अनुच्छेद 80: इसमें राज्य सभा (राज्य सभा) के सदस्यों के चयन का तरीका और उनकी संरचना को विशिष्ट किया गया है।
अनुच्छेद 81: इसमें लोक सभा (लोक सभा) की संरचना को बताया गया है और उनके सदस्यों के चयन का तरीका विशिष्ट किया गया है।
अनुच्छेद 82: इसमें लोक सभा (लोक सभा) में अंग्रेजी-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व को बताया गया है।
अनुच्छेद 83: इसमें संसदों की अवधि को बताया गया है, जो उनकी पहली बैठकी मुलाकात की तारीख से पाँच साल है।
अनुच्छेद 84: इसमें संसद के सदस्य बनने के लिए योग्यता को विशिष्ट किया गया है, जिसमें आयु, नागरिकता, और अकारण निष्कर्षण शामिल है।
अनुच्छेद 85: इसमें संसद की अधिवेशन और इससे जुड़े उपस्थिति और इसके विघटन के संदर्भ में चर्चा की गई है, और राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों को बुलाने या विघटित करने की अनुमति है।
अनुच्छेद 86: इसमें राष्ट्रपति को संसद के सदस्यों के सामने संबोधन करने और संदेश भेजने का हक दिया गया है।
अनुच्छेद 87: इसमें राष्ट्रपति द्वारा विशेष संबोधन की चर्चा की गई है, जहां राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित कर सकते हैं।
अनुच्छेद 88: इसमें मंत्रियों और भारतीय अटॉर्नी जनरल के अधिकारों की चर्चा की गई है, जैसे संसद के सदस्यों और समितियों के लिए निर्धारित किए जाने वाले कानून द्वारा परिभाषित किए जाने वाले हैं।
अनुच्छेद 89: इसमें दो सदनों के बीच असहमति के कुछ मामलों में ज्योड़े बैठने की चर्चा की गई है।
अनुच्छेद 90: इसमें सदनों में वोटिंग की चर्चा की गई है, राष्ट्रपति को सहमति देने, सहमति देने का अधिकार और धन विधेयकों पर अंतिम निर्णय की चर्चा की गई है।
अनुच्छेद 91: इसमें ‘मनी बिल’ का मतलब और कौन-कौन से विधेयकों को मनी बिल के रूप में देखा जाना चाहिए, इस पर चर्चा की गई है।
अनुच्छेद 92: इसमें विधेयकों के संबंध में राष्ट्रपति के शक्तियों का तरीका और राष्ट्रपति की सहमति, सहमति देने का अधिकार और विधेयकों को लौटाने का तरीका विशिष्ट किया गया है।
अनुच्छेद 93: इसमें ‘मनी बिल’ का मतलब और कौन-कौन से विधेयक मनी बिल माने जाते हैं, यह बताया गया है।
अनुच्छेद 94: इसमें वित्तीय मामलों में प्रक्रिया को चर्चा की गई है, जिसमें राष्ट्रपति के वार्षिक वित्तीय बयान और बजट प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।
अनुच्छेद 95: इसमें राज्य की विधायिका में उपकरणों को प्रभावित करने के लिए आवश्यक माने जाने वाले सिफारिशों और पूर्व स्वीकृति को प्राप्त करने की शर्त को बताया गया है।
अनुच्छेद 96: इसमें संसद के प्रगति के लिए प्रक्रिया को बताया गया है।
अनुच्छेद 97: इसमें वित्तीय बयान की वर्षिक आवश्यकता को बताया गया है, जिसे संसद के दोनों सदनों के सामने प्रस्तुत करना आवश्यक है।
अनुच्छेद 98: इसमें वित्तीय मामलों में संसद में अनुरोधों के लिए प्रक्रिया को बताया गया है, जिसमें मांगों के लिए और विनियमों के लिए जनरण्ड और विनियम विधेयकों पर वोटिंग शामिल है।
अनुच्छेद 99: इसमें संसद के सदस्यों का शपथ या प्रतिज्ञान स्पष्ट किया गया है।
अनुच्छेद 100: इसमें संसद में वोटिंग की चर्चा की गई है, जिसमें समिति के अध्यक्ष के बाइंडिंग वोट और बंधक वोट के संदर्भ में चर्चा की गई है।
अनुच्छेद 101: इसमें सदनों में वोटिंग के संदर्भ में चर्चा की गई है, जिसमें लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा मनी बिल की प्रमाणिति की जाती है।
अनुच्छेद 102: इसमें सदस्यों के लिए सदनों में योग्यता की निष्कर्षण बताया गया है।
अनुच्छेद 103: इसमें सदस्यों के अयोग्यता के सवालों पर निर्णय की चर्चा की गई है, और ये सवाल राष्ट्रपति के लिए निर्णय के लिए संदर्भ में आते हैं।
अनुच्छेद 104: इसमें संसद के और सदस्यों और समितियों के अधिकार, विशेषाधिकार और विमुक्तियों को बताया गया है, जो संसद के बिल द्वारा परिभाषित किए जाने वाले हैं।
अनुच्छेद 105: इसमें लोक सभा (लोक सभा) और राज्य सभा (राज्य सभा) के और उनके सदस्यों और समितियों के अधिकार, विशेषाधिकार और विमुक्तियों को बताया गया है, और इन्हें संविधान के प्रावधानों और संसद के प्रक्रिया को विनियमित करने वाले नियम और स्थिति के अधीन दिया गया है।
अनुच्छेद 106: इसमें संसद के सदस्यों के वेतन और भत्तों को तय करने के लिए विधायक द्वारा बनाए जाने वाले कानून का तरीका बताया गया है।
अनुच्छेद 107: इसमें राष्ट्रपति के संबंध में मनी बिल को प्रस्तुत करने और मनी बिल को पारित करने के लिए के तरीकों की निर्धारिति है, इसमें राष्ट्रपति के सहमति देने के या देने से रोकने की शक्ति शामिल है।
अनुच्छेद 108: इसमें संसद में वोटिंग की चर्चा की गई है, जिसमें सदस्यों के बीच सहमति को प्राप्त करने और प्राप्त करने की शर्त को बताया गया है।
अनुच्छेद 109: इसमें संसद के वित्तीय विवादों में आयोगों के गठन के संबंध में चर्चा की गई है।
अनुच्छेद 110: इसमें संसद द्वारा आयकर और केंद्रीय उपकरणों के निगमों के लिए वित्तीय वर्ष के लिए विशेष आयकर का मान्यता देने की शक्ति को बताया गया है।
अनुच्छेद 111: इसमें संसद द्वारा वित्तीय वर्ष के दौरान योजना और केंद्रीय उपकरणों के निगमों के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की पारिति की विधि को बताया गया है।
अनुच्छेद 112: इसमें केंद्रीय उपकरणों के लिए वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की विवरणिका की अवश्यकता को बताया गया है।
अनुच्छेद 113: इसमें केंद्रीय उपकरणों के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की प्रस्तावना को विशिष्ट किया गया है, जिसमें विभाग के लिए मांगों का विवरण शामिल है।
अनुच्छेद 114: इसमें राज्यों के लिए वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की प्रस्तावना को विशिष्ट किया गया है, जिसमें विभाग के लिए मांगों का विवरण शामिल है।
अनुच्छेद 115: इसमें राज्यों के लिए वित्तीय वर्ष के दौरान योजना और राज्य सरकारों के निगमों के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की पारिति की विधि को बताया गया है।
अनुच्छेद 116: इसमें राज्यों के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की प्रस्तावना के विषय में विशेष उपदेश और समय की नियुक्ति के संबंध में चर्चा की गई है।
अनुच्छेद 117: इसमें राज्यों के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की प्रस्तावना के लिए उपयुक्त प्रक्रिया को बताया गया है।
अनुच्छेद 118: इसमें राज्यों के लिए वित्तीय आयकर विधेयकों की प्रस्तावना के लिए विशेष विधिनिर्धारण और प्रक्रिया को बताया गया है।
अनुच्छेद 119: इसमें संसद द्वारा वित्तीय मामलों के आलोचना की विधि को बताया गया है, जिसमें संसद के सदस्यों को वित्तीय मामलों के संदर्भ में प्रश्न पूछने का हक दिया गया है।
अनुच्छेद 120: इसमें वित्तीय मामलों के संदर्भ में संसद के सदस्यों के लिए जवाब की विधि को बताया गया है, जो संसद के सदस्यों के संदर्भ में वित्तीय मामलों के लिए प्रश्न पूछने के बाद दिया जाता है।
अनुच्छेद 121: इसमें संसद के लिए वित्तीय मामलों के संदर्भ में समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है।
अनुच्छेद 122: इसमें वित्तीय मामलों के संदर्भ में संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है।
अनुच्छेद 123: इसमें वित्तीय मामलों के संदर्भ में संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है।
अनुच्छेद 124: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 125: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 126: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 127: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 128: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 129: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 130: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 131: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 132: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 133: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 134: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 135: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 136: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 137: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 138: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 139: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 140: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 141: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 142: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
अनुच्छेद 143: इसमें संसद के सदस्यों के लिए समितियों के गठन और उनके कार्य की विधि को बताया गया है, जो वित्तीय मामलों के संदर्भ में होती हैं।
Here’s a brief overview of Articles 52 to 143 related to the President of India in the Indian Constitution:
Article 52: It defines the qualifications and election process of the President.
Article 53: It establishes the executive power of the President and explains that the executive power shall be vested in the President and shall be exercised by them directly or through officers subordinate to them.
Article 54: It outlines the manner of election of the President, including the manner of voting.
Article 55: It specifies the manner of election of the President when there is only one candidate.
Article 56: It discusses the term of the President and the eligibility for re-election.
Article 57: It explains the eligibility for re-election of the President after a term of five years.
Article 58: It deals with the qualification for election as President and the conditions of eligibility for re-election.
Article 59: It discusses the Oath or affirmation by the President.
Article 60: It outlines the procedure for the election of the Vice-President of India.
Article 61: It deals with the procedure for the impeachment of the President.
Article 62: It discusses the time of holding the election of the President.
Article 63: It provides for the Vice-President to act as President or discharge the functions of the President in certain circumstances.
Article 64: It deals with the removal of the President from office.
Article 65: It discusses the Vice-President discharging the functions of the President during casual vacancies.
Article 66: It outlines the election of the Vice-President.
Article 67: It specifies the term of the Vice-President and the conditions of eligibility for re-election.
Article 68: It deals with the manner of election of the Vice-President and the manner of voting.
Article 69: It discusses the oath or affirmation by the Vice-President.
Article 70: It specifies the disqualifications for the election as, and for being, a member of either House of Parliament or of a Legislative Assembly or Legislative Council of a State.
Article 71: It outlines the matters relating to the election of the President and Vice-President of India.
Article 72: It deals with the power of the President to grant pardons, reprieves, respites, or remissions of punishment.
Article 73: It specifies the extent of executive power of the Union.
Article 74: It discusses the Council of Ministers to aid and advise the President.
Article 75: It outlines the appointment of the Prime Minister and other Ministers.
Article 76: It deals with the Attorney General for India.
Article 77: It specifies the conduct of business of the Government of India.
Article 78: It outlines the duties of the Prime Minister as respects the furnishing of information to the President, etc.
Article 79: It establishes the Parliament of India.
Article 80: It specifies the composition of the Council of States (Rajya Sabha).
Article 81: It outlines the composition of the House of the People (Lok Sabha).
Article 82: It deals with the representation of the Anglo-Indian community in the House of the People.
Article 83: It discusses the duration of Houses of Parliament.
Article 84: It outlines the qualifications for membership of Parliament.
Article 85: It specifies the Sessions of Parliament, prorogation, and dissolution.
Article 86: It deals with the right of the President to address and send messages to Houses.
Article 87: It discusses special address by the President.
Article 88: It specifies the rights of Ministers and Attorney General as respects Houses.
Article 89: It outlines the joint sitting of both Houses in certain cases of disagreement between the two Houses.
Article 90: It discusses the voting in Houses, the power of the President to withhold assent, etc.
Article 91: It deals with the special provisions as to financial bills.
Article 92: It specifies the mode of exercising powers of the President in relation to Bills.
Article 93: It discusses the meaning of ‘Money Bills’.
Article 94: It deals with the procedure in financial matters.
Article 95: It outlines the provision as to recommendations and previous sanction required to be obtained for introducing Bills affecting taxation in the Legislature of a State.
Article 96: It specifies the provisions as to annual financial statement.
Article 97: It deals with the annual financial statement.
Article 98: It outlines the procedure in Parliament with respect to estimates.
Article 99: It discusses the oath or affirmation by members.
Article 100: It specifies the voting in Houses.
Article 101: It deals with vacation and resignation of, and removal from, the offices of Speaker and Deputy Speaker.
Article 102: It outlines the disqualifications for membership.
Article 103: It specifies the decision on questions as to disqualifications of members.
Article 104: It deals with the powers, privileges, etc., of Houses of Parliament and of the members and committees thereof.
Article 105: It outlines the powers, privileges, etc., of the House of the People and of the Council of States.
Article 106: It discusses the salaries and allowances of members.
Article 107: It specifies the powers of the President as to introduction and passing of Bills.
Article 108: It outlines the joint sitting of both Houses.
Article 109: It discusses the special procedure in respect of Money Bills.
Article 110: It specifies the definition of ‘Money Bills’.
Article 111: It outlines the procedure to be followed in the case of Bills other than Money Bills.
Article 112: It deals with the annual financial statement.
Article 113: It specifies the procedure in Parliament with respect to estimates.
Article 114: It discusses the procedure as to financial Bills.
Article 115: It deals with supplementary, additional or excess grants.
Article 116: It outlines the votes on account, votes of credit, and exceptional grants.
Article 117: It specifies special provisions as to financial Bills.
Article 118: It discusses rules of procedure.
Article 119: It deals with regulations by the President.
Article 120: It specifies the language to be used in Parliament.
Article 121: It deals with restrictions on discussion in Parliament.
Article 122: It outlines the Courts not to inquire into proceedings of Parliament.
Article 123: It specifies the power of the President to promulgate ordinances during recess of Parliament.
Article 124: It deals with establishment and constitution of Supreme Court.
Article 125: It specifies the salaries, etc., of Judges.
Article 126: It discusses appointments of acting Chief Justice.
Article 127: It outlines appointments of ad hoc Judges.
Article 128: It deals with attendance of retired Judges at sittings of the Supreme Court.
Article 129: It specifies Supreme Court to be a court of record.
Article 130: It discusses the seat of the Supreme Court.
Article 131: It outlines the original jurisdiction of the Supreme Court.
Article 132: It deals with the appellate jurisdiction of the Supreme Court in appeals from High Courts in certain cases.
Article 133: It specifies the appellate jurisdiction of the Supreme Court in appeals from High
Courts in regard to civil matters.
Article 134: It outlines the appellate jurisdiction of the Supreme Court in regard to criminal matters.
Article 135: It deals with jurisdiction and powers of the Federal Court under existing law to be exercisable by the Supreme Court.
Article 136: It specifies special leave to appeal by the Supreme Court.
Article 137: It deals with review of judgments or orders by the Supreme Court.
Article 138: It outlines the enlarged jurisdiction of the Supreme Court.
Article 139: It specifies the conferment on the Supreme Court of powers to issue certain writs.
Article 140: It deals with ancillary powers of Supreme Court.
Article 141: It outlines the law declared by the Supreme Court to be binding on all courts.
Article 142: It specifies the enforcement of decrees and orders of Supreme Court and orders as to discovery, etc.
Article 143: It discusses the powers of the President to consult the Supreme Court.
These articles collectively define the role, powers, and functions of the President of India, as well as various aspects related to the functioning of the Indian Parliament and the judiciary.