भारतीय सुप्रीम कोर्ट की अधिकारिता और शक्तियाँ:
1. संविधानिक अधिकारिता: सुप्रीम कोर्ट को संविधान की चर्चा और उसके व्याख्यान की अंतिम अधिकारिता है। यह न्यायपालिका को संविधान के माध्यम से दिए गए अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम करता है।
2. मूल अधिकारिता: सुप्रीम कोर्ट की मूल अधिकारिता मामलों की शुरुआतियों को सुनना होती है और मामलों को प्रारंभिक अधिकारिता देने का काम करती है।
3. न्यायिक समीक्षा: सुप्रीम कोर्ट के पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति है, जिसके तहत यह कानूनों, आदेशों, और विधियों की संविधानिकता की जांच कर सकता है और अगर आवश्यक हो, उन्हें रद्द कर सकता है।
4. अपीलीय अधिकारिता: सुप्रीम कोर्ट को अपीलीय अधिकारिता भी होती है, जिसके तहत यह उच्च न्यायालयों के निर्णयों के खिलाफ अपील सुन सकता है और उन्हें पुनः विचार कर सकता है।
5. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच विवादों का समाधान: सुप्रीम कोर्ट को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच होने वाले विवादों का समाधान करने की अधिकारिता होती है।
6. उच्च न्यायालयों के निर्णयों की जांच: सुप्रीम कोर्ट को उच्च न्यायालयों के निर्णयों की जांच करने की शक्ति होती है और यदि वे गलत सिद्ध होते हैं, तो वे निर्णयों को रद्द कर सकती है।
7. न्यायिक सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट के पास बहुत ही महत्वपूर्ण न्यायिक सुनवाई की शक्ति होती है, जिसमें वह मुद्दों को सुनता है और न्यायिक विचारणा करता है।
8. संविधानिक मामलों का समाधान: सुप्रीम कोर्ट को संविधानिक मामलों का समाधान करने की अधिकारिता होती है, जैसे कि विधि की व्याख्यान करना और उसे अपनी संविधानिक अधिकारिता के अनुसार निष्पादित करना।
9. उद्घाटन याचिकाएँ: सुप्रीम कोर्ट को किसी महत्वपूर्ण मामले में उद्घाटन याचिकाएँ सुनने की अधिकारिता होती है, जो कि राष्ट्रपति की उपस्थिति में हो सकती है।
10. संविधानिक संरक्षण: सुप्रीम कोर्ट का मुख्य कार्य संविधान की संरक्षण की सुनिश्चिति करना होता है, जिसके तहत यह किसी भी नवीन कानून या सरकारी क्रियावली को संविधान के प्रावधानों के खिलाफ जांच सकता है और उन्हें रद्द कर सकता है।
भारतीय सुप्रीम कोर्ट के पास यही कुछ महत्वपूर्ण अधिकारिताएँ और शक्तियाँ होती हैं, जो इसे भारतीय संविधान के आधार पर एक स्वतंत्र और न्यायप्रिय संवाददाता बनाती हैं।
Jurisdiction and Powers of the Supreme Court in India:
- Constitutional Jurisdiction: The Supreme Court has the ultimate jurisdiction to discuss and interpret the Constitution. This includes safeguarding the rights granted by the Constitution through its interpretations.
- Original Jurisdiction: The Supreme Court has original jurisdiction, which means it can hear cases directly, especially those of substantial public importance.
- Judicial Review: The Supreme Court possesses the power of judicial review, which allows it to examine the constitutionality of laws, orders, and ordinances, and if necessary, declare them void.
- Appellate Jurisdiction: The Supreme Court has appellate jurisdiction, meaning it can hear appeals against the decisions of the high courts or any other tribunal in the country.
- Resolution of Interstate Disputes: The Supreme Court has the authority to resolve disputes between states and between the center and the states.
- Review of High Court Judgments: The Supreme Court has the power to review the judgments of high courts and other courts, and if they are found incorrect, the Supreme Court can overturn them.
- Judicial Hearing: The Supreme Court has the power of judicial hearing, where it listens to cases and engages in judicial deliberations.
- Writ Jurisdiction: The Supreme Court can issue writs like habeas corpus, mandamus, prohibition, certiorari, and quo warranto for the protection of fundamental rights.
- Public Interest Litigation (PIL): The Supreme Court can take cognizance of matters of public interest and can act as a protector of fundamental rights.
- Protection of Fundamental Rights: The Supreme Court is responsible for safeguarding and upholding the fundamental rights of citizens through its powers of interpretation and enforcement of the Constitution.
These are some of the key jurisdictional areas and powers of the Supreme Court of India, which empower it to ensure the proper functioning of the rule of law, the protection of individual rights, and the interpretation of the Constitution.