- कंप्यूटर क्या होता है?
- कंप्यूटर के विकास की पीढियाँ
- कंप्यूटर की संरचनाएं
- हार्डवेयर
- सी .पी .यू की कार्यविधि
- कम्प्यूटर की भाषाएं
- इंटरनेट
- भारत में कंप्यूटर का विकास
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो डेटा प्रोसेसिंग (डेटा को प्रोसेस करने) के लिए डिज़ाइन किया गया है। कंप्यूटर किसी भी प्रकार की संख्यात्मक और लोजिकल कार्यों को और तेजी से कर सकता है। यह डेटा को स्टोर करने, प्रोसेस करने, इनपुट और आउटपुट करने के लिए हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर का संयोजन करता है। कंप्यूटर विभिन्न कार्यों को अधिकतर तेजी से और पुनरावलोकन के बिना करने में सक्षम होता है, जैसे कि डेटा प्रोसेसिंग, गेमिंग, वेब ब्राउज़िंग, ग्राफिक्स डिज़ाइनिंग, और और भी कई कार्यों में उपयोग किया जाता है।
कंप्यूटर विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे कि डेस्कटॉप कंप्यूटर, लैपटॉप, सर्वर, सुपरकंप्यूटर, और मोबाइल डिवाइस आदि। कंप्यूटर का मूल काम डेटा को प्रोसेस करना होता है, जिसमें डेटा को स्टोर करना, संशोधित करना, और इसे उपयोगकर्ता के लिए समझने और प्रदर्शन करना शामिल होता है।
कंप्यूटर बहुत सारे विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ़्टवेयर के साथ आते हैं जो उनके कार्यों को संचालित करने में मदद करते हैं। कंप्यूटर की तरह कई जगहों पर उपयोग होता है, जैसे कि विशेषज्ञ उपयोगकर्ताओं के लिए जांच और अनुसंधान, व्यवसाय, शिक्षा, मनोरंजन, और कई कार्यों में।
A computer is an electronic device designed for data processing, which means it can quickly and efficiently perform various numerical and logical tasks. It coordinates hardware and software to store, process, input, and output data. Computers are capable of performing a wide range of tasks, such as data processing, gaming, web browsing, graphic design, and many others, often with high speed and repeatability.
Computers come in various forms, including desktop computers, laptops, servers, supercomputers, and mobile devices, among others. The fundamental function of a computer is to process data, which includes storing it, modifying it, and presenting it in a comprehensible way for users.
Computers are equipped with various operating systems and software applications that help control their operations. Computers find applications in numerous fields, such as research and development for specialized users, business, education, entertainment, and many more.
कंप्यूटर के विकास की पीढ़ियां (Generations of computer development)
कंप्यूटर के विकास की पीढियाँ (Generations of Computer Development):
- पहली पीढ़ी (First Generation):
- अवसरिय पीढ़ी कंप्यूटर 1940s और 1950s में विकसित हुई थी।
- इन कंप्यूटरों में वैल्वो का उपयोग किया गया था।
- ये कंप्यूटर बहुत बड़े और भारी थे और बिजली की अधिक आवश्यकता थी।
- प्राथमिक स्तर की मशीन भाषा में काम करते थे।
- उदाहरण: ENIAC, UNIVAC
- दूसरी पीढ़ी (Second Generation):
- दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर 1950s और 1960s में विकसित हुई थी।
- इन कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर्स का उपयोग किया गया था, जो वैल्वो की तुलना में छोटे, तेज, और अधिक सामग्री किफायती थे।
- प्रोग्रामिंग के लिए COBOL और FORTRAN जैसी उच्च स्तरीय मशीन भाषाएँ डेवलप की गईं।
- उदाहरण: IBM 1401, IBM 7094
- तीसरी पीढ़ी (Third Generation):
- तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर 1960s के आसपास से लेकर 1970s तक विकसित हुई।
- इनमें इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग किया गया था, जिससे कंप्यूटर की सामग्री और वाणिज्यिकता में सुधार हुआ।
- ऑपरेटिंग सिस्टम्स का उपयोग आम हो गया और माइनफ्रेम कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियों आई।
- उदाहरण: IBM 360, PDP-11
- चौथी पीढ़ी (Fourth Generation):
- चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर 1970s के बाद से विकसित हो रहे हैं।
- इनमें वैद्युत इथनेट का उपयोग किया गया है, और माइक्रोप्रोसेसिंग तकनीक का विकास हुआ है।
- प्रोग्रामिंग के लिए हाई-लेवल लैंग्वेज्स जैसे कि C और C++ का उपयोग होता है।
- इनके आगमन से पर्सनल कंप्यूटर्स और वर्गीय कंप्यूटर्स की अधिकतम प्रसार हुआ।
- उदाहरण: IBM PC, Apple Macintosh
- पांचवीं पीढ़ी (Fifth Generation):
- पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर के विकास में विशेषज्ञता और जीपीयू के विकास में महत्वपूर्ण योगदान हुआ है।
- इनके कंप्यूटरों में जैरिक्स कैसे काम करते हैं और भाषाओं की विशेषता में विशेषज्ञता होती है, जैसे कि प्राकृतिक भाषा प्रसंगना।
- विस्तार से अध्ययन करने के लिए AI (Artificial Intelligence) और ML (Machine Learning) के क्षेत्र में ज्यादा काम हो रहा है।
- उदाहरण: IBM Watson, Google DeepMind
यह कंप्यूटर के विकास की मुख्य पीढियाँ हैं, और प्रत्येक पीढ़ी के कंप्यूटर में तकनीकी और विशेषज्ञता में सुधार हुआ है। आजकल कंप्यूटरों के विकास में और भी योगदान हो रहा है और नई पीढियाँ विकसित हो रही हैं।
Generations of Computer Development:
- First Generation:
- First-generation computers were developed in the 1940s and 1950s.
- They used vacuum tubes.
- These computers were large and bulky, requiring a lot of electricity.
- They operated at the machine language level.
- Examples: ENIAC, UNIVAC
- Second Generation:
- Second-generation computers were developed in the 1950s and 1960s.
- They used transistors, which were smaller, faster, and more cost-effective than vacuum tubes.
- High-level programming languages like COBOL and FORTRAN were developed for programming.
- Examples: IBM 1401, IBM 7094
- Third Generation:
- Third-generation computers were developed in the 1960s through the 1970s.
- They featured the use of Integrated Circuits (IC), leading to improved hardware and efficiency.
- Operating systems became common, and companies specialized in mainframe computers.
- Examples: IBM 360, PDP-11
- Fourth Generation:
- Fourth-generation computers have been developed since the 1970s.
- They utilize technologies like Ethernet for networking and microprocessing.
- High-level programming languages like C and C++ are commonly used.
- The advent of fourth-generation computers led to the proliferation of personal and minicomputers.
- Examples: IBM PC, Apple Macintosh
- Fifth Generation:
- Fifth-generation computers have seen significant contributions in expertise and the development of AI (Artificial Intelligence) and GPUs (Graphics Processing Units).
- These computers excel in areas such as how to work with languages and expertise in languages, like natural language processing.
- AI and Machine Learning (ML) are seeing extensive research and development in this generation.
- Examples: IBM Watson, Google DeepMind
These are the major generations of computer development, and each generation saw improvements in technology and expertise. Computer development continues, with new generations and innovations emerging.
कंप्यूटर की संरचनाएं (Computer Structures)
कंप्यूटर की संरचना (Computer Structure) उसके भीतर हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के मुख्य घटकों का आदान-प्रदान करती है जो इसके कार्यान्वयन को संभालने में मदद करते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ महत्वपूर्ण कंप्यूटर संरचना के प्रमुख घटक:
- सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU): CPU कंप्यूटर का मस्तिष्क होता है, जो सभी कार्यों का निर्देशन देता है और उन्हें प्रोसेस करता है। यह अरिथमेटिक और लॉजिकल ऑपरेशन्स को संचालित करता है।
- मेमोरी (Memory): मेमोरी कंप्यूटर की डेटा और प्रोग्रामों को स्टोर करने के लिए होती है, ताकि CPU उन्हें प्रोसेस कर सके। इसमें RAM (रैंडम एक्सेस मेमरी) और ROM (रीड-ओनली मेमरी) शामिल होते हैं।
- इनपुट डिवाइस (Input Devices): इनपुट डिवाइस कंप्यूटर को डेटा और निर्देशन देने में मदद करते हैं, जैसे – कीबोर्ड, माउस, टचस्क्रीन, वेबकैम, और माइक्रोफ़ोन।
- आउटपुट डिवाइस (Output Devices): आउटपुट डिवाइस कंप्यूटर द्वारा प्रोसेस किए गए डेटा को प्रयोगकर्ता को प्रदर्शित करने में मदद करते हैं, जैसे कि मॉनिटर, प्रिंटर, और स्पीकर।
- स्टोरेज डिवाइस (Storage Devices): स्टोरेज डिवाइस कंप्यूटर पर स्थायी रूप से डेटा को स्टोर करने में मदद करते हैं, जैसे कि हार्ड ड्राइव, सीडी/डीवीडी, और USB ड्राइव्स।
- बस (Bus): बस हार्डवेयर कॉम्पोनेंट्स के बीच डेटा और निर्देशन के लिए संचालनीय मार्ग प्रदान करता है, जैसे – डेटा बस, एड्रेस बस, और कंट्रोल बस।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System): ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के संचालन को संचालित करने में मदद करता है, जैसे कि Windows, macOS, और Linux।
- प्रोग्रामिंग भाषा (Programming Language): प्रोग्रामिंग भाषा कंप्यूटर पर कार्यक्रम लिखने और संचालित करने के लिए उपयोग होती है, जैसे कि C++, Java, और Python।
- नेटवर्क (Network): नेटवर्क संरचना कंप्यूटरों को एक-दूसरे से कनेक्ट करने और डेटा साझा करने में मदद करती है, जैसे कि इंटरनेट और लोकल नेटवर्क।
हार्डवेयर
हार्डवेयर (Hardware) एक टेक्नोलॉजी या कंप्यूटर सिस्टम का वास्तविक और फिजिकल हिस्सा होता है, जिसमें विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल कंपोनेंट्स शामिल होते हैं जो कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कार्यों को संचालित करने में मदद करते हैं। हार्डवेयर कंप्यूटर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, सर्वर, नेटवर्क उपकरण, गेमिंग कंसोल, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के भी हिस्सा होता है।
हार्डवेयर के मुख्य घटक निम्नलिखित होते हैं:
- सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit – CPU): CPU कंप्यूटर का दिमाग होता है, जो कंप्यूटर के सभी कार्यों को निर्देशित करता है और उन्हें प्रोसेस करता है.
- रैन्डम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory – RAM): RAM कंप्यूटर के काम करने के दौरान तात्काल उपयोग के लिए डेटा और कार्यों को संचित्रित करती है, जिससे कार्यों की गति बढ़ती है.
- स्टोरेज डिवाइस (Storage Devices): स्टोरेज डिवाइस डेटा और फाइलों को दीर्घकालिक रूप से संचित्रित करते हैं, जैसे हार्ड ड्राइव, सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD), और ओप्टिकल ड्राइव.
- इनपुट डिवाइस (Input Devices): कीबोर्ड, माउस, टचस्क्रीन, वेबकैम, और अन्य उपकरण जिनका उपयोग डेटा और इंपुट प्रदान करने के लिए होता है.
- आउटपुट डिवाइस (Output Devices): मॉनिटर, प्रिंटर, और स्पीकर जैसे उपकरण जिनका उपयोग इंपुट का प्रदर्शन करने के लिए किया जाता है.
- मद्य स्ंवादन (Input/Output) इंटरफेस: ये इंटरफेस, जैसे USB, HDMI, Ethernet, और डिस्प्ले पोर्ट्स, इनपुट और आउटपुट डिवाइस को कंप्यूटर से कनेक्ट करने के लिए होते हैं.
- मद्य कार्ड (Hardware Cards): ग्राफिक्स कार्ड, साउंड कार्ड, नेटवर्क कार्ड, और अन्य मद्य कार्ड विशेष कार्यों के लिए बनाए जाते हैं.
- पावर सप्लाई (Power Supply Unit – PSU): PSU कंप्यूटर के सभी कंपोनेंट्स को विद्युत शक्ति सप्लाई करता है.
- कंप्यूटर केस (Computer Case): केस कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर कंपोनेंट्स को सुरक्षित रूप से रखने के लिए उपयोग होता है और वेंटिलेशन के लिए डिज़ाइन किया जाता है.
ये हार्डवेयर कंप्यूटर के सभी आवश्यक घटक होते हैं, जो कंप्यूटर के सही तरीके से काम करने के लिए आवश्यक होते हैं। यह विभिन्न प्रकार के कंप्यूटर और डिवाइस्स में भिन्न-भिन्न रूपों में प्रयुक्त हो सकते हैं, लेकिन उनका मुख्य उद्देश्य होता है कंप्यूटर के साथ तात्काल और दीर्घकालिक तरीके से काम करना।
Hardware refers to the physical components of a computer or electronic device, including electronic and mechanical parts that help control and operate the device. Hardware is not limited to computers but is used in various electronic devices such as smartphones, laptops, tablets, servers, network devices, gaming consoles, and more.
The primary components of hardware include:
- Central Processing Unit (CPU): The CPU serves as the brain of the computer, directing and processing all of the computer’s operations.
- Random Access Memory (RAM): RAM temporarily stores data and tasks for immediate use during computer operation, improving performance.
- Storage Devices: Storage devices, such as hard drives, solid-state drives (SSDs), and optical drives, store data and files for long-term use.
- Input Devices: Input devices like keyboards, mice, touchscreens, webcams, and others are used to provide data and input to the computer.
- Output Devices: Output devices, including monitors, printers, and speakers, display or produce the results or information generated by the computer.
- Input/Output Interfaces: These interfaces, such as USB, HDMI, Ethernet, and display ports, connect input and output devices to the computer.
- Hardware Cards: Graphics cards, sound cards, network cards, and other hardware cards are designed for specific functions, such as graphics rendering, sound output, or network connectivity.
- Power Supply Unit (PSU): The PSU supplies electrical power to all of the computer components.
- Computer Case: The computer case is used to securely house and provide ventilation for all hardware components.
These hardware components are essential for the proper functioning of a computer, enabling it to perform various tasks. They can be utilized in different types of computers and devices, each tailored to specific functions and requirements.
सी .पी .यू की कार्यविधि (Working of CPU)
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) कंप्यूटर प्रणाली के भीतर विभिन्न कार्यों को करती है। इसके प्रमुख कार्यों को निम्नलिखित रूप में संक्षेपित किया जा सकता है:
- इनपुट: CPU विभिन्न स्रोतों से इनपुट डेटा प्राप्त करती है, जैसे की कीबोर्ड, माउस, हार्ड ड्राइव, नेटवर्क, या अन्य पेरिफेरल से।
- क्रियान्वयन: CPU इनपुट डेटा पर प्रक्रिया करती है और उस पर कार्रवाई करती है। इसमें गणितीय गणना, तिथि प्रसंस्करण, छवि में परिवर्तन, और अन्य कार्य शामिल होते हैं।
- मेमोरी एक्सेस: CPU को मेमोरी में संग्रहित डेटा और निर्देशों का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। यह मेमोरी से डेटा पढ़ती है और उसे वहाँ लिखती है।
- आउटपुट: डेटा की प्रक्रिया करने के बाद, CPU परिणामों को प्रयोक्ता के सामने प्रदर्शित करती है, जैसे – प्रिंटिंग, स्क्रीन पर प्रदर्शन, या नेटवर्क के माध्यम से डेटा भेजना।
- विभाजन: CPU जटिल कार्यों को छोटे, प्रबंधनीय उपकार्यों में विभाजित करती है, जो अलग-अलग रूप से पूर्ण किए जा सकते हैं।
- नियंत्रण: CPU इनपुट, क्रियान्वयन, मेमोरी एक्सेस, और आउटपुट के बीच डेटा और निर्देशों का प्रवाह नियंत्रित करती है, सुनिश्चित करती है कि कार्यों को सही क्रम में और सही तरीके से किया जाता है।
- घड़ी: CPU एक घड़ी पर काम करती है, जो उसके कार्यों की गति निर्धारित करने वाला निरंतर और नियमित ताल में होता है।
The Central Processing Unit (CPU) performs various functions within a computer system. Its primary operations can be summarized as follows:
- Input: The CPU receives input data from various sources, such as the keyboard, mouse, hard drive, network, or other peripherals.
- Execution: The CPU processes and performs operations on the input data. This includes mathematical calculations, date processing, image manipulation, and other tasks.
- Memory Access: The CPU needs to access data and instructions stored in memory. It reads data from memory and writes data back to it.
- Output: After processing data, the CPU displays the results to the user through various means, such as printing, showing on the screen, or sending data over a network.
- Division: The CPU divides complex tasks into smaller, manageable subtasks that can be executed separately.
- Control: The CPU controls the flow of data and instructions between input, execution, memory access, and output, ensuring that tasks are executed in the correct order and manner.
- Clock: The CPU operates on a clock cycle, a continuous and regular rhythm that determines the pace of its operations.
कम्प्यूटर की भाषाएं (Computer languages)
बिल्कुल! यहां कुछ कंप्यूटर भाषाएं हैं, उनके लगभग विकास के वर्ष और उनके उपयोग के साथ:
- मशीन भाषा (Machine Language):
- वर्ष: 1st Generation (1940s-1950s)
- उपयोग: कंप्यूटर हार्डवेयर द्वारा सीधे समझी जाने वाली भाषा, जिसमें बाइनरी कोड होता है।
- एसेम्बली भाषा (Assembly Language):
- वर्ष: 2nd Generation (1950s-1960s)
- उपयोग: मशीन भाषा निर्देशों को प्राइमर सिम्बल्स और मनमाने नामों के साथ लिखने के लिए, जिससे यह मानवों द्वारा पठनीय हो जाती है।
- उच्च स्तर की भाषा (High-Level Language):
- वर्ष: 3rd Generation (1960s-वर्तमान)
- उपयोग: मानव भाषा के करीब आने के लिए डिज़ाइन की गई, उच्च स्तर की भाषाएँ जैसे कि FORTRAN, COBOL, C, C++, Java, Python, आदि, व्यापक रूप से प्रयुक्त होती हैं।
- विजुअल प्रोग्रामिंग भाषा (Visual Programming Language):
- वर्ष: 3rd Generation (और आगे)
- उपयोग: इन भाषाओं से प्रोग्रामिंग को ग्राफिकल इंटरफ़ेस के माध्यम से सरल बनाया जाता है, जैसे कि Scratch, Blockly, Visual Basic, आदि।
- वेब विकास भाषाएँ (Web Development Languages):
- वर्ष: 1990s-वर्तमान
- उपयोग: वेब विकास के लिए, जिसमें HTML, CSS, JavaScript, PHP, ASP.NET, Ruby, Python, आदि शामिल हैं।
- डेटा-आधारित भाषा (Data-Based Languages):
- वर्ष: 4th Generation (और आगे)
- उपयोग: डेटा संग्रहण और प्रसंस्करण के लिए डिज़ाइन की गई है, जैसे कि SQL, R, MATLAB, आदि।
- स्क्रिप्टिंग भाषाएँ (Scripting Languages):
- वर्ष: 4th Generation (और आगे)
- उपयोग: स्वचालन और वेब विकास के लिए आदर्श, इसमें JavaScript, Python, Ruby, Perl, आदि शामिल हैं।
Here are some computer languages, along with their approximate years of development and their usefulness:
- Machine Language:
- Year: 1st Generation (1940s-1950s)
- Usefulness: Directly understood by the computer hardware, consisting of binary code.
- Assembly Language:
- Year: 2nd Generation (1950s-1960s)
- Usefulness: Used to write machine language instructions using symbols and mnemonics, making it more human-readable.
- High-Level Language:
- Year: 3rd Generation (1960s-Present)
- Usefulness: Designed to bring programming closer to human language, high-level languages like FORTRAN, COBOL, C, C++, Java, Python, etc., are widely used.
- Visual Programming Language:
- Year: 3rd Generation (and beyond)
- Usefulness: These languages simplify programming through a graphical interface, e.g., Scratch, Blockly, Visual Basic, etc.
- Web Development Languages:
- Year: 1990s-Present
- Usefulness: Used for web development, including HTML, CSS, JavaScript, PHP, ASP.NET, Ruby, Python, and more.
- Data-Based Languages:
- Year: 4th Generation (and beyond)
- Usefulness: These languages are designed for data storage and processing, e.g., SQL, R, MATLAB, etc.
- Scripting Languages:
- Year: 4th Generation (and beyond)
- Usefulness: Ideal for automation and web development, examples include JavaScript, Python, Ruby, Perl, etc.
भारत में कंप्यूटर का विकास (Development of Computer in India)
भारत में कंप्यूटर के विकास के संक्षेपित विवरण कुछ वर्षों में इस प्रकार है:
- 1950s – पहले कंप्यूटर का आगमन: भारत में कंप्यूटरों का पहला उपयोग 1950 के दशक में हुआ जब हिंदुस्तान मॆशीनरीज (Hindustan Machine Tools) ने हरियाणा में पहला कंप्यूटर निर्मित किया।
- 1970s – इंडिजेनस कंप्यूटरों का विकास: 1970 में भारतीय विज्ञानिक और अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने लिए एक इंडिजेनस सुपरकंप्यूटर विकसित किया।
- 1980s – कंप्यूटर शिक्षा के प्रारंभ: 1980 में भारत सरकार ने कंप्यूटर शिक्षा के कार्यक्रमों की शुरुआत की और विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में कंप्यूटर शिक्षा की योजनाें बनाई।
- 1990s – लिबरलीकरण और आईटी बड़ी ब्रेकथ्रू: 1990 में भारत ने आईटी सेक्टर को खुलने और विदेशी निवेश के लिए बाजार खोल दिया, जिससे आईटी और सॉफ़्टवेयर उद्योग में तेजी से विकास हुआ।
- 2000s – आधार और डिजिटल इंडिया: 2009 में आधार प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई, जिसने डिजिटल पहचान की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया।
- 2010s – इंटरनेट और डिजिटल व्यापार: इंटरनेट उपयोग में वृद्धि हुई और डिजिटल व्यापार का प्रमुख हिस्सा बन गया।
- 2020s – टेक्नोलॉजी के साथ समृद्धि: 2020 के दशक में भारतीय सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया है और कंप्यूटर तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया है।
इन वर्षों के दौरान, भारत में कंप्यूटर तकनीक का विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
The development of computer technology in India over the years can be summarized as follows:
- 1950s – Introduction of the First Computer: Computers were first introduced in India in the 1950s when Hindustan Machine Tools in Haryana introduced the first computer.
- 1970s – Indigenous Supercomputers: In the 1970s, the Indian Space Research Organization (ISRO) developed indigenous supercomputers.
- 1980s – Commencement of Computer Education: In the 1980s, the Indian government initiated computer education programs and introduced computer education in various educational institutions.
- 1990s – Liberalization and IT Boom: In the 1990s, India liberalized its IT sector, allowing foreign investment, leading to rapid growth in the IT and software industry.
- 2000s – Aadhaar and Digital India: The Aadhaar project was launched in 2009, playing a crucial role in the direction of digital identity in India.
- 2010s – Internet and Digital Commerce: Internet usage increased, and digital commerce became a significant part of the Indian economy.
- 2020s – Prosperity with Technology: In the 2020s, the Indian government promoted digitalization through the Digital India program, encouraging increased use of
computer technology Throughout these years, the development of computer technology has played a pivotal role in India’s social and economic progress, and it is expected to continue to do so in the future.
इंटरनेट (Internet)
कंप्यूटर के संदर्भ में मेमोरी आमतौर पर जानकारी और डेटा के संग्रहण और पुनर्प्राप्ति को सूचित करती है। कंप्यूटर मेमोरी के कई प्रकार होते हैं, प्रत्येक एक विभिन्न उद्देश्य की सेवा करते हैं:
- रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी – RAM): रैम वोलेटाइल मेमोरी होती है जिसका उपयोग कंप्यूटर के प्रोसेसर द्वारा सक्रिय रूप से उपयोग किए जाने वाले डेटा को संग्रहित करने के लिए किया जाता है। इसमें तेज पठन और लेखन क्रियाएँ की जा सकती हैं और ऐप्लिकेशन और ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए आवश्यक होती है।
- रोम (रीड-ओनली मेमोरी – ROM): रोम एक नॉन-वॉलेटाइल मेमोरी होती है जिसमें कंप्यूटर के हार्डवेयर पर स्थायित फर्मवेयर या सॉफ़्टवेयर होता है। इसका उपयोग कंप्यूटर को बूट करने और महत्वपूर्ण हार्डवेयर घटकों को प्रारंभ करने के लिए किया जाता है।
- हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD): HDD एक नॉन-वॉलेटाइल स्टोरेज होती है जिसका उपयोग दीर्घकालिक डेटा संग्रहण के लिए किया जाता है। इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम, एप्लिकेशन और उपयोगकर्ता फ़ाइल्स सहित बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहित किया जा सकता है।
- सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD): SSD एक तेज और अधिक विश्वसनीय नॉन-वॉलेटाइल स्टोरेज का रूप है जो HDD की तुलना में तेजी से काम करता है। इसका उपयोग डेटा संग्रहण के लिए किया जाता है और यह कंप्यूटर की गति और प्रतिक्रिया को बड़े रूप में सुधार सकता है।
- कैश मेमोरी: कैश मेमोरी कंप्यूटर के सीपीयू और रैम के बीच स्थित एक छोटी, उच्च गति वाली वॉलेटाइल मेमोरी होती है। यह अक्सर उपयोग किए जाने वाले डेटा और निर्देशों को संग्रहित करती है।
- वर्चुअल मेमोरी: वर्चुअल मेमोरी एक मेमोरी प्रबंधन तकनीक है जिसमें कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव का एक हिस्सा रैम का विस्तारक के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कंप्यूटरों को वास्तविक रूप से उपलब्ध रहने वाले से अधिक मेमोरी की आवश्यकता वाले ऐप्लिकेशन्स चलाने के लिए किया जाता है।
- फ़्लैश मेमोरी: फ़्लैश मेमोरी एक प्रकार की नॉन-वॉलेटाइल मेमोरी है जिसका आमतौर पर USB ड्राइव्स, मेमोरी कार्ड, और सॉलिड स्टेट ड्राइव्स में उपयोग होता है। इसकी गति और टिकाऊ के लिए प्रसिद्ध है।
- रजिस्टर्स: रजिस्टर्स सीपीयू के अंदर सबसे छोटी और सबसे तेज संग्रहण स्थल होते हैं। यह डेटा संग्रहित करते हैं जिसका सीपीयू सक्रिय रूप से प्रोसेस कर रहा होता है।
- ऑप्टिकल स्टोरेज (उदाहरण: सीडी, डीवीडी, ब्लू-रे): ऑप्टिकल स्टोरेज ऑप्टिकल डिस्क पर डेटा को पढ़ने और लिखने के लिए लेजर प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है। इसका अक्सर दीर्घकाल भंडारण और डेटा वितरण के लिए उपयोग किया जाता है।
- क्लाउड स्टोरेज: क्लाउड स्टोरेज इंटरनेट के माध्यम से पहुँचने वाले दूरस्थ सर्वरों पर डेटा संग्रहण करने का है। यह उपयोगकर्ताओं को विभिन्न डिवाइस और स्थानों से अपने डेटा तक पहुँचने की अनुमति देता है।
In the context of computers, memory typically refers to the storage and retrieval of information and data. There are several types of computer memory, each serving a different purpose:
- Random Access Memory (RAM): RAM is volatile memory used by the computer’s processor to store data that is actively being used. It allows for fast read and write operations and is essential for running applications and the operating system.
- Read-Only Memory (ROM): ROM is non-volatile memory that contains firmware or software permanently written onto the computer’s hardware. It is used to boot up the computer and initialize essential hardware components.
- Hard Disk Drive (HDD): HDD is non-volatile storage used for long-term data storage. It can store large amounts of data, including the operating system, applications, and user files.
- Solid State Drive (SSD): SSD is a faster and more reliable form of non-volatile storage compared to HDD. It is used for data storage and can significantly improve a computer’s speed and responsiveness.
- Cache Memory: Cache memory is a small, high-speed volatile memory located between the CPU and RAM. It stores frequently used data and instructions to speed up the CPU’s data access.
- Virtual Memory: Virtual memory is a memory management technique that uses a portion of the computer’s hard drive as an extension of RAM. It allows computers to run applications that require more memory than is physically available.
- Flash Memory: Flash memory is a type of non-volatile memory commonly used in USB drives, memory cards, and solid-state drives. It is known for its speed and durability.
- Registers: Registers are the smallest and fastest storage locations within the CPU. They store data that the CPU is actively processing.
- Optical Storage (e.g., CD, DVD, Blu-ray): Optical storage uses laser technology to read and write data on optical discs. It is often used for long-term archiving and data distribution.
- Cloud Storage: Cloud storage involves storing data on remote servers accessible via the internet. It allows users to access their data from various devices and locations.
These various types of computer memory serve different purposes, from providing temporary working storage for the CPU to long-term storage of data and applications. The choice of memory type depends on the specific requirements of the computer system and its intended use.
इंटरनेट का इतिहास (History of internet)
इंटरनेट का इतिहास एक लम्बा और व्यापक है, लेकिन यहां उसके विकास में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ और वर्ष दिए गए हैं:
- 1960: ARPANET की शुरुआत – ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) को सर्च करने के लिए एक नेटवर्क का आरंभ किया गया था, जो इंटरनेट के नेटवर्क की शुरुआत थी।
- 1971: पहला ईमेल भेजा गया – रेय टॉम्लिनसन ने अपने साथी इंजीनियर के पास भेजे गए ईमेल को बोलचाल का आदान-प्रदान माना जाता है।
- 1974: TCP/IP का निर्माण – ट्रांसमिटर कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल (TCP/IP) का विकास हुआ, जो आजकल इंटरनेट के मूल आधार है।
- 1983: इंटरनेट की नामिकरण – डोमेन नाम सिस्टम (DNS) का आरंभ किया गया, जिससे इंटरनेट पर साइटों को नामित करने के लिए डोमेन नामों का उपयोग किया जा सकता है।
- 1991: World Wide Web का आरंभ – टिम बर्नर्स-ली द्वारा World Wide Web (WWW) का निर्माण किया गया, जिससे आम लोगों को वेब पृष्ठों को ब्राउज़ करने का अवसर मिला।
- 1993: पहला वेब ब्राउज़र – मोसैक (Mosaic) नामक पहला वेब ब्राउज़र विकसित किया गया, जिससे इंटरनेट ब्राउज़ करना और वेब पेज देखना आसान हुआ।
- 1994: याहू और Amazon की स्थापना – याहू और अमेज़न जैसी प्रमुख वेब कंपनियाँ स्थापित की गईं, जिन्होंने इंटरनेट के विनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 1998: गूगल की स्थापना – लैरी पेज और सर्गे ब्रिन ने गूगल कंपनी की स्थापना की, जिसने वेब सर्च की दुनिया में क्रांति ला दी।
- 2004: फेसबुक की स्थापना – मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक कंपनी की स्थापना की, जो आजकल सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है।
- 2020: COVID-19 पैंडेमिक में इंटरनेट का महत्व – COVID-19 पैंडेमिक के दौरान, इंटरनेट ने दूरसंचार, विद्या, काम, और व्यापार के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
The history of the Internet is long and extensive, but here are some significant events and years in its development:
- 1960: The Beginning of ARPANET – ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) was initiated as a research network, marking the inception of what would become the Internet.
- 1971: First Email Sent – Ray Tomlinson is credited with sending the first email to a fellow engineer.
- 1974: Development of TCP/IP – Transmission Control Protocol/Internet Protocol (TCP/IP) was created, serving as the foundation of the Internet today.
- 1983: Internet Naming – The Domain Name System (DNS) was introduced, allowing websites to be named using domain names.
- 1991: Invention of the World Wide Web – Tim Berners-Lee developed the World Wide Web (WWW), making it easier for the general public to browse web pages.
- 1993: First Web Browser – Mosaic, the first web browser, was developed, making it easier for people to browse the Internet and view web pages.
- 1994: Founding of Yahoo! and Amazon – Major web companies like Yahoo! and Amazon were established, playing significant roles in the development of the Internet.
- 1998: Founding of Google – Larry Page and Sergey Brin founded Google, which revolutionized the world of web search.
- 2004: Founding of Facebook – Mark Zuckerberg founded Facebook, which has become the largest social media platform today.
- 2020: Internet’s Vital Role in the COVID-19 Pandemic – During the COVID-19 pandemic, the Internet played a crucial role in remote communication, education, work, and business.
नेटवर्क के प्रकार (Types of Network)
नेटवर्क कई तरीकों से वर्गीकृत किए जा सकते हैं, और इन्हें विभिन्न मानकों के आधार पर श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख नेटवर्क प्रकार हैं:
- लोकल एरिया नेटवर्क (LAN): LAN छोटे क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं, जैसे कि एक घर, ऑफिस, या कैंपस।
- मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (MAN): MAN बड़े क्षेत्र में नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं, जैसे – शहर के अंदर या उसके आस-पास।
- वाइड एरिया नेटवर्क (WAN): WAN बड़े क्षेत्रों, राज्यों, देशों या ग्लोबल स्तर पर नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।
- इंट्रानेट: इंट्रानेट एक बड़े ग्लोबल नेटवर्क है जो विश्वभर में कनेक्टेड है और लाखों कंप्यूटरों और नेटवर्क डिवाइस को एक साथ जोड़ता है।
- कारगर नेटवर्क (CAN): CAN कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किए गए नेटवर्क होते हैं, जैसे – विज्ञान और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए एक शिक्षावादी नेटवर्क।
- कारगर एरिया नेटवर्क (CAN): CAN एक निजी नेटवर्क होते हैं जो किसी विशेष स्थान पर कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं, जैसे कि एक निजी कॉर्पोरेट ऑफिस या बड़ा व्यापारिक संरचना।
- सर्वर नेटवर्क: सर्वर नेटवर्क, जो वेब सर्वर और डेटाबेस सर्वर के बीच कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं, वेबसाइट और एप्लिकेशन के होस्टिंग के लिए प्रमुख होते हैं।
- मोबाइल नेटवर्क: मोबाइल नेटवर्क सेल्यूलर टेक्नोलॉजी का उपयोग करके मोबाइल डिवाइस जैसे – स्मार्टफ़ोन को इंटरनेट से कनेक्ट करते हैं।
- वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN): VPNs इंटरनेट से सुरक्षित रूप से कनेक्ट होने और डेटा को एन्क्रिप्ट करके गोपनीयता और सुरक्षा को बनाए रखने का एक सुरक्षित तरीका प्रदान करते हैं, इन्क्रिप्टेड टनल्स बनाकर।
ये कुछ सामान्य नेटवर्क के प्रकार हैं, और विशेष आवश्यकताओं और प्रौद्योगिकियों के आधार पर विशेष नेटवर्क प्रकार और परिवर्तन भी होते हैं।
Networks can be categorized in various ways, and they can be classified based on different standards. Here are some common types of networks:
- Local Area Network (LAN): LANs are used to connect devices within a small geographical area, such as a home, office, or campus.
- Metropolitan Area Network (MAN): MANs cover a larger geographic area than LANs, typically a city or a large campus.
- Wide Area Network (WAN): WANs span across large areas, often connecting networks in different cities, regions, or even countries.
- Internet: The global network that connects millions of computers and devices worldwide.
- Campus Area Network (CAN): CANs are designed for specific purposes, often within an educational or research campus.
- Corporate Area Network (CAN): CANs are private networks that serve a specific location, such as a corporate office or a large business facility.
- Server Network: Server networks facilitate connectivity between web servers and database servers, essential for hosting websites and applications.
- Mobile Network: Mobile networks use cellular technology to provide Internet connectivity to mobile devices, such as smartphones.
- Virtual Private Network (VPN): VPNs create secure and encrypted tunnels, allowing users to connect to the Internet while maintaining privacy and security.
These are some common types of networks, and there are many more specialized network types and variations based on specific needs and technologies.
इंटरनेट के लिए आवश्यक जरूरतें (Essential Requirements for Internet)
इंटरनेट का उपयोग करने के लिए कुछ आवश्यक चीजें निम्नलिखित होती हैं:
- उपकरण (Device): कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफ़ोन, टैबलेट, या अन्य इंटरनेट सक्षम डिवाइस।
- इंटरनेट कनेक्शन: इंटरनेट तक पहुँचने के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाता के माध्यम से कनेक्ट होने वाला कनेक्शन, जैसे कि ब्रॉडबैंड, DSL, केबल, वायरलेस (वाई-फाई), या सेल्यूलर डेटा।
- वेब ब्राउज़र (Web Browser): एक वेब ब्राउज़र की आवश्यकता होती है जैसे कि Google Chrome, Mozilla Firefox, Microsoft Edge, या Safari, जो वेबसाइट और वेब पेज देखने के लिए उपयोग होता है.
- ईमेल अकाउंट: ईमेल भेजने और प्राप्त करने के लिए एक ईमेल अकाउंट की आवश्यकता होती है.
- वीडियो कॉलिंग और चैट एप्लिकेशन: वीडियो कॉलिंग और चैट करने के लिए ऐप्स जैसे – Zoom, Skype, या WhatsApp की आवश्यकता होती है.
- सुरक्षा के उपाय (Security Measures): इंटरनेट पर सुरक्षित रूप से सर्च करने, ईमेल भेजने, और ऑनलाइन व्यवहार करने के लिए अच्छे सुरक्षा के उपाय, जैसे – एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर और वायरवॉल की आवश्यकता होती है.
- ऑनलाइन गोपनीयता और सुरक्षा की जानकारी: ऑनलाइन गोपनीयता के मामले में जागरूकता, व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा, और साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी होनी चाहिए.
- समय और उपकरण: इंटरनेट का सुचना खोजने, सोशल मीडिया का उपयोग करने, ईमेल भेजने, और अन्य कार्यों के लिए सुचना को प्रभावी रूप से उपयोग करने के लिए आवश्यक आवश्यकताएँ।
The essential requirements for using the Internet are as follows:
- Device: A computer, laptop, smartphone, tablet, or any other Internet-enabled device.
- Internet Connection: A connection to the Internet provided by an Internet service provider, such as broadband, DSL, cable, wireless (Wi-Fi), or cellular data.
- Web Browser: A web browser is needed for viewing websites and web pages. Common web browsers include Google Chrome, Mozilla Firefox, Microsoft Edge, or Safari.
- Email Account: An email account is required for sending and receiving emails.
- Video Calling and Chat Applications: Applications like Zoom, Skype, or WhatsApp are necessary for video calling and chatting.
- Security Measures: To safely browse the Internet, send emails, and engage in online activities, good security measures are essential. This includes antivirus software and a firewall.
- Online Privacy and Security Knowledge: Awareness of online privacy, securing personal information, and cybersecurity is important.
- Time and Equipment: Time and appropriate equipment for tasks such as searching the Internet, using social media, emailing, and more.
इंटरनेट से संबंधित शब्दावली (Internet related terminology)
इंटरनेट से संबंधित शब्दावली:
- वेबसाइट (Website)
- ब्राउज़िंग (Browsing)
- वेब पृष्ठ (Web Page)
- ब्राउज़र (Browser)
- लिंक (Link)
- इंटरनेट कनेक्शन (Internet Connection)
- डाउनलोड (Download)
- अपलोड (Upload)
- ईमेल (Email)
- सोशल मीडिया (Social Media)
- गूगल (Google)
- वीडियो कॉल (Video Call)
- वेबकैम (Webcam)
- ऑनलाइन खरीददारी (Online Shopping)
- इंटरनेट सुरक्षा (Internet Security)
- ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming)
- ब्लॉगिंग (Blogging)
- सर्च इंजन (Search Engine)
- डिजिटल मीडिया (Digital Media)
- वायरल (Viral)
Internet-related vocabulary in English:
- Website
- Browsing
- Web Page
- Browser
- Link
- Internet Connection
- Download
- Upload
- Social Media
- Video Call
- Webcam
- Online Shopping
- Internet Security
- Online Gaming
- Blogging
- Search Engine
- Digital Media
- Viral
डोमेन नाम (Domain name)
डोमेन नाम एक मानव-पठनीय वेब पता है जिसका उपयोग इंटरनेट पर वेबसाइटों की पहचान और एक्सेस के लिए किया जाता है। आमतौर पर यह दो मुख्य भागों से मिलकर बना होता है: डोमेन स्वयं और टॉप-लेवल डोमेन (टीएलडी)। यहां कुछ डोमेन नामों के उदाहरण हैं:
- google.com
- facebook.com
- wikipedia.org
- cnn.com
- amazon.com
इन उदाहरणों में, “google,” “facebook,” “wikipedia,” “cnn,” और “amazon” डोमेन नाम हैं, और “.com” या “.org” टॉप-लेवल डोमेन हैं। डोमेन नाम उपयोगकर्ताओं को आसानी से इंटरनेट पर गुमान और विशिष्ट वेबसाइटों को ढूंढ़ने में मदद करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। वे वर्ल्ड वाइड वेब के पते क्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”
A domain name is a human-readable web address used to identify and access websites on the internet. It’s typically composed of two main parts: the domain itself and the top-level domain (TLD). Here are some examples of domain names:
- google.com
- facebook.com
- wikipedia.org
- cnn.com
- amazon.com
In these examples, “google,” “facebook,” “wikipedia,” “cnn,” and “amazon” are the domain names, and “.com” or “.org” are the top-level domains. Domain names are used to help users easily navigate the internet and locate specific websites. They play a crucial role in the addressing system of the World Wide Web.
क्लाउड कम्प्यूटिंग
“क्लाउड कंप्यूटिंग” एक प्रौद्योगिकी को सूचित करता है जिसमें डेटा और सॉफ़्टवेयर अनुपयोगी संसाधनों की आवश्यकता के बिना इंटरनेट पर उपलब्ध सुधारी और प्रबंधन करने के लिए दूरस्थ सर्वर पर रखने और प्रबंधन करने की एक प्रौद्योगिकी है। क्लाउड कंप्यूटिंग उपयोगकर्ताओं को अपने उपकरणों पर स्थानीय संसाधनों की आवश्यकता के बिना डेटा का उपयोग, पहुंच और प्रसंस्करण करने की अनुमति देता है। इसका मतलब है कि डेटा और सॉफ़्टवेयर को कहीं से भी और किसी भी समय तक एक इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध है, तब तक पहुंचा जा सकता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग की मुख्य विशेषताएँ शामिल हैं:
- स्केलेबिलिटी: क्लाउड सेवाएं आवश्यकताओं के हिसाब से आसानी से बढ़ाई जा सकती हैं।
- उपयोग-आधारित बिलिंग: उपयोगकर्ताएं केवल उन संसाधनों के लिए भुगतान करती हैं जिनका उनका वास्तविक उपयोग होता है, जिससे लागत कम होती है।
- पहुंच: उपयोगकर्ता विभिन्न प्लेटफ़ॉर्मों और उपकरणों से संसाधनों तक पहुंच सकते हैं।
- डेटा सुरक्षा: क्लाउड सेवाएं अक्सर डेटा सुरक्षा और बैकअप सुविधाएं प्रदान करती हैं।
- सेवा मॉनिटरिंग: क्लाउड सेवा प्रदाताएं वेब सर्वरों और सेवाओं के संचालन की मॉनिटरिंग करती हैं, निष्क्रियता और उपलब्धता की सुनिश्चित करती हैं।
“Cloud computing” is a technology that involves storing and managing data and software applications on remote servers accessible over the internet. Cloud computing enables users to access, retrieve, and process data without relying on local resources on their devices. This means that data and software can be accessed from anywhere and at any time, as long as there is an internet connection.
Key features of cloud computing include:
- Scalability: Cloud services can be easily adjusted to meet changing requirements.
- Usage-Based Billing: Users are billed only for the resources they actually use, reducing costs.
- Accessibility: Users can access resources from various platforms and devices.
- Data Security: Cloud services often provide data security and backup features.
- Service Monitoring: Cloud service providers monitor the operation of web servers and services, ensuring reliability and availability.